Yasodhara
समय की मार और बिपरीत परिस्थिति या तो इंसान को शारीरिक या मानसिक रूप से शरीर और मन को जर्ज़र करके एक दिन मौत के मुह मे गिरा देती है या फिर इतना कठोर बना देती है की प्रभाबित इंसान चाहे वह महिला हो या पुरुष आत्मा बिहीन हो जाता है फिर वह मानवीय भावनाओं से परे हो जाता इस कहनी मे भी यशोधरा का बचपन।से लेकर उसकी अधेड अवस्था उसकी बीमारी और जीबन के सुखद और दुखद पलो .का वर्णन है कहा जाता है स्त्री जाति का हिर्दय बहुत कोमल होता है दया ममता उनमे कूट कूट कर भरी रहती है और ये सच भी है कोई बिरली हि महिला होगी जिसमे दया ममता ना हो अन्यथा स्त्रियां अगर किसी से बहस कर रही हों और बहस करते करते दो चार बार रो ना दे येसा बहुत कम हि होता है स्त्री जाति ईस्वर दवरा बनाई गई एक कोमल रचना है .या एक ऐसा मन जो ममता से परिपूर्ण है बिकट परिस्थती मे भी ...