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Showing posts from August, 2025

Yasodhara

   समय की मार और  बिपरीत परिस्थिति या तो  इंसान को शारीरिक या मानसिक रूप से  शरीर और  मन को जर्ज़र करके एक दिन मौत के मुह मे गिरा देती है या फिर इतना कठोर बना देती है की   प्रभाबित इंसान  चाहे वह महिला हो या  पुरुष आत्मा बिहीन हो जाता है  फिर वह  मानवीय भावनाओं से परे हो जाता   इस कहनी मे भी  यशोधरा  का बचपन।से लेकर उसकी अधेड  अवस्था  उसकी बीमारी  और  जीबन के  सुखद और  दुखद पलो  .का वर्णन है   कहा जाता है स्त्री जाति का हिर्दय बहुत कोमल होता है दया ममता उनमे कूट कूट कर भरी  रहती है   और  ये सच भी है कोई बिरली हि महिला होगी जिसमे दया ममता ना हो अन्यथा  स्त्रियां अगर किसी से बहस कर  रही हों  और  बहस करते करते दो चार  बार रो ना दे  येसा  बहुत कम हि होता है स्त्री जाति ईस्वर  दवरा बनाई  गई एक कोमल रचना है  .या एक ऐसा मन जो ममता से परिपूर्ण है    बिकट  परिस्थती  मे भी  ...

स्त्री

 हम हमेशा यह सोचते है की आगे सब  ठीक हि होगा खासकर एक स्त्री वह इतनी भोली होती है कु लाख मुसीबत आ जाए कुछ भी हो जाते एक दो घंटे के बाद नॉर्मल बिहेब करती है मानो कुछ हुआ हि ना हो  पता नही स्त्री मन इतना  कोमल क्यो बनाया है ईस्वर ने  बेचारी अपने पूरे जीवन मे वह केवल एक सोच के साथ जीती है की कभी ना कभी  तो  सब ठीक  होगा पर  होता कुछ भी ठीक नहीं है  और  आखिर मे उसका जीवन ख़त्म हो जाता है  जुझते जुझते ©® deeksha