स्त्री
हम हमेशा यह सोचते है की आगे सब ठीक हि होगा खासकर एक स्त्री वह इतनी भोली होती है कु लाख मुसीबत आ जाए कुछ भी हो जाते एक दो घंटे के बाद नॉर्मल बिहेब करती है मानो कुछ हुआ हि ना हो पता नही स्त्री मन इतना कोमल क्यो बनाया है ईस्वर ने
बेचारी अपने पूरे जीवन मे वह केवल एक सोच के साथ जीती है की कभी ना कभी तो सब ठीक होगा पर होता कुछ भी ठीक नहीं है
और आखिर मे उसका जीवन ख़त्म हो जाता है जुझते जुझते
©® deeksha
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