Yasodhara

  

समय
की मार और  बिपरीत परिस्थिति या तो  इंसान को शारीरिक या मानसिक रूप से  शरीर और  मन को जर्ज़र करके एक दिन मौत के मुह मे गिरा देती है या फिर इतना कठोर बना देती है की   प्रभाबित इंसान  चाहे वह महिला हो या  पुरुष आत्मा बिहीन हो जाता है  फिर वह  मानवीय भावनाओं से परे हो जाता   इस कहनी मे भी  यशोधरा  का बचपन।से लेकर उसकी अधेड  अवस्था  उसकी बीमारी  और  जीबन के  सुखद और  दुखद पलो  .का वर्णन है   कहा जाता है स्त्री जाति का हिर्दय बहुत कोमल होता है दया ममता उनमे कूट कूट कर भरी  रहती है   और  ये सच भी है कोई बिरली हि महिला होगी जिसमे दया ममता ना हो अन्यथा  स्त्रियां अगर किसी से बहस कर  रही हों  और  बहस करते करते दो चार  बार रो ना दे  येसा  बहुत कम हि होता है स्त्री जाति ईस्वर  दवरा बनाई  गई एक कोमल रचना है  .या एक ऐसा मन जो ममता से परिपूर्ण है    बिकट  परिस्थती  मे भी  स्त्री आशा की एक किरण.  धूंढ  लेती है इस कहानी  मे भी यशोधरा का संघर्ष  दिखाया. गया  है 

सुबह के छ  बज   रहे थे ,आँगन मे  चिड़ियों। की चह  चहाहट से आंगन मे शोर था तभी  मधु ने आवाज लगाई (मधु यशोधरा  की मा ) यशोधरा  ओ यशोधरा  उठ जल्दी पाठशाला नहीं जाना क्या आज तभी यशोधरा  ने अंगड़ाई लेते हुए कहा उठती हु न  मा अभी तो छ बजे  हैँ इतने जल्दी उठकर भी क्या करना है ,तो  मधु ने कहा अरे उठेगी    नहायेगी ,कंघी करेगी खाना खायेगी तब  तक समय हो जयेगा सब  ,सब तुरंत करेगी क्या  तब यशोधरा अंगड़ाई लेते हुए उठी  और   कूद कर  पलंग से नीचे आ गई  यशोधरा अभी  छटवी कक्षा मे   पढ़ती थी और  पढ़ने मे   काफी होशियार   थी लेकिन  काफी नादान थी एक  ग्यारह वर्ष की लड़की जो जीवन की  झंझटों से बिल्कुल  दूर है  बस खाना खेलना पढ़ना  इन तीन  चीजों के अलाबा जिंदगी के रंगों से बो  बिल्कुल अनजान  थी. यशोधरा
यशोधरा बचपन के दिनों का भरपूर आनंद ले रही थी  उसको घर बार  गृहस्ती जैसी चीजों से बिल्कुल अनभिज्ञ थी

धीरे धीरे समय बीतता गया यशोधरा अब बड़ी हो  चली  थी 
यशोदा अब नवी कक्षा में  आ  गई थी। ।
नवी कक्षा मे  आने के बाबजूद भी बचपना अभी भी बरकरार था

शाम का समय था घड़ी में  साढ़े छ बज रहे थे , तभी रामधन ने घर के अंदर प्रवेश किया एक (रामधन यशोधरा का पिता ) कंधे  पर सफ़ेद  साफा  ताने मुख और  शरीर पसीने से  लपथप ,आते हि घर मे  बिछे  पलंग पर बैठ कर साफे से मुह पोछते हुए बोला यशोदा जरा पानी तो देना यशोदा ने अंदर से आबाज लगाई जी पिता जी अभी आई और  हाथ मे एक लोटा और  एक गिलास लिए यशोदा बाहर  आई और  रामधन  को पानी दिया तभी मधु भी बाहर  आई और  रामधन के पलंग के सामने रखी कुर्सी पर बैठते हुए बोली , फिर क्या हुआ यशोदा के बापू    आप् तो लड़का देखने गये थे,      तब रामधन कुछ सोचते हुए बोला परिवार तो ठीक है और  लड़का भी ठीक है  और  परिवार मै है हि कोंन् लड़का,और  उसके माता पिता  इतना कहते हुए  रामधन स्नांग्रह की और  मुह हाथ धोने चला गया  ।
तब तक  यशोदा ने रामधन के लिए खाने की  थाल परोस दी और  अपने लिए खाना परोस दिया  अब तीनो बातें करते करते खाना  खाने लगे  ,तभी  मधु ने
कहा ,की जब लड़का।ठीक है और  परिवार ठीक है तो देरी
किस बात की तभी रामधन बोला देरी तो मुझे भी नहीं करनी लेकिन  शादी ब्याह का मामला है सब कुछ कहना आसान है पर करना उतना हि मुश्किल  बहुत खर्चा आएगा ,तो मधुु ने  कहा अरे पैसा तो हर काम मे  लगता है पैसे के डर से  हम अपना काम छोड़ दें  क्या   हम इंतजाम कर लेंगे राम रक्षा करेंगे ऐसा  कहते  हुए मधु रसोई की तरफ उठकर गई
अगले दिन रामधन सुबह जल्दी उठकर  नये  कपड़े पहनकर अंदर तिजोरी से कुछ पैसे निकालकर रवाना हो गया ,रामधन आज यशोदा के  ब्याह की तारीख पक्की करने लड़के बालो  के यहाँ गया था लड़के के पिता ने  यशोधरा को पहले से देख लिया था  और  यशोधरा उन्हे पहले से हि  पसंद आ गई थी  और  रामधन     से पहले हि शादी के लिए हाँ  कह दिया था लड़के बालों ने
रामधन जैसे  हि पहुंचा
बिरजू ने चारपाई बिछा  दी (बिरजू लडके  का पिता )और  रामधन वहा  आकर चारपाई पर बैठ गया  कुछ देर  चुप बैठने के बाद  रामधन कहने लगा की  मेने पंडित जी से पूछा था एक महीने बाद शादी का  अच्छा मुहूर्त है ,तब बिरजू ने कहा तो ठीक है अब देरी किस बात की ,तभी श्याम हांथो में  चाय की ट्रे  लिए आ पहुंची (श्याम बिरजू का बेटा रामधन का होने बाला दामाद )
अब बिरजू और  रामधन  दोनो ने चाय पी और  इधर उधर की बातें की और  कुछ समय के बाद रामधन ने  बिरजू  के घर से बिदा ली अगले दिन सुबह सुबह जब  मधु ने यशोधरा को आवाज लगाई  यशोधरा ओ यशोधरा। उठ  जा अब जल्दी उठने की आदत डाल ले  नहीं तो ससुराल मे ताने खायेगी अपनी सासु मा के इतना कहकर मधु ठहाके  लगाकर हसने लगी आज मधु काफी खुश नजर आ  रही थी ।
मधु अब घर का काम  हर रोज  जल्दी निपटाकर शादी की तैयारिया में  लग जाती  और यशोदा के स्कूल से आते हि  उसको भी साथ मे  काम करने की कहती , यशोदा काम करते  करते कहती की एक महीना हि है कैसे बीत जायेगा पता  भी नहीं चलेगा ।
घर मे  सादी की तैयारियां  चल रही थी और  यशोदा अभी सभी बातों से अनभिज्ञ थी और  वह  अपनी मा से कहती किस बात का एक महीना बचा  है मा  ,तब मधु ने कहा तेरा  ब्याह तय हुया है एक महीना बाद ब्याह की तारीख है अब तुझे वहाँ अपने ससुराल मे जाकर रहना है तेरी शादी हो जाएगी यशोदा स्तब्ध होकर सुनती रही फिर कुछ सोचकर बोली  ,मा क्या मे  अब   स्कूल नहीं जा पाउंगी क्या मै भी आपकी तरह अब घर का काम करती रहूंगी  तब यशोधरा ने धीरे से कहा हाँ  और  आंगन की तरफ चली गई ।
यशोदा अपने माता  पिता की इकलौती संतान थी  इसलिए रामधन और  मधु  दोनो ने बड़े लाड़  दुलार से यशोधरा को पाला था  अपने माता पिता की बहुत हि लाडली थी   यशोधरा 
समय बीतता गया और यशोदा की शादी बाली  तारीख आ गई और यशोधरा  का बड़ी धूम धाम से   बिबाह किया  अगले दिन यशोधरा अपने ससुराल चली  गई अब श्याम (यशोधरा का पति ) की और  अपने सास ससुर की लाडली थी यशोधरा लेकिन
लेकिन आज यशोधरा को सब बदला  बदला लग रहा था उसे किसी बात की उमंग नहीं थी और  ना ही  स्कूल जाने की  जल्दबाजी  ना  सहेलियों  से  मिलने की  उत्सुकता बस    घुंघट ओढ़े बैठी थी और सब कुछ उसको आज हाथो पर मिल रहा था  आखिर बो नई दुल्हन थी उसे अपनी जगह  से    हिलने की आवश्यकता नहीं  पड़ रही थी  सब कुछ हाथों मे मिल रहा था  ऐसे ही  समय बीतता गया और   यशोधरा  एक अच्छी बहु अच्छी पत्नी  साबित हुई लेकिन समय  मार से कोई नहीं बच सकता  ,बिरजू की जो थोड़ी बहुत खेती थी  उसमे  कुछ भी नहीं उपज रहा था धीरे धीरे परिवार को आर्थिक तंगी का  सामना करना पड़ा  गांव  मे   इतनी  सुविधायें भी नहीं थी की  बिरजू और  उसका बेटा श्याम गांव में कुछ काम कर सके और  पैसा कमा सके  इसलिए श्याम ने पास मे हि बसे शहर जाने की ठानी तो सबकी सहमति  से श्याम और  यशोधरा पास के शहर मे जाकर रहने लगे वहा  श्याम ने एक घर किराये से ले लिया था अब श्याम को कुछ दिन के बाद काम भी मिल गया  श्याम जो भी कमाता उसमे से कुछ अपने माता पिता को  गांव  मेंभेज देता और फिर जो भी पैसा बचता उससे यशोधरा का ओर स्वयं का गुजारा करता था।
कुछ सालों तक ऐसे हि चलता रहा और  धीरे धीरे श्याम ने तरक्की की और  हालात  अच्छे होते  गये  श्याम और  यशोदा हसीं  खुशी रह रहे थे  लेकिन यशोधरा को  एक चिंता सताये जा रही थी शादी के इतने दिन बीत गये अभी तक यशोधरा की कोई संतान नहीं थी यशोधरा और  श्याम ने काफी   इलाज भी कराया लेकिन संतान का सुख उनको नहीं मिल पा रहा था ।
(एक निः संतान दंपत्ति को हमारा समाज  कई  प्रकार के ताने मारता  है इस बात से  पाठक भली भांति परिचित  होंगे  और महिलाओं को इस बात का कुछ ज्यादा एहसास दिलाया जाता है की तुम्हारी संतान नहीं है  कुछ   रुदिवादियों का मानना है की  जिनकी संतान नहीं होती  उनका मुख भी नहीं देखना चाहिए उनके  द्वारा दिये धन
कई  महीने साल  बीतते गये और एक रोज भगवान् ने यशोधरा की सुन ली और  यशोधरा गर्वबती हो गई और  फिर पूरे नौ महीने बाद  यशोधरा ने एक  लड़की को जन्म दिया श्याम और  यशोदा बहुत।खुश  थे
बक्त  बीतता गया और  श्याम बुरी  बुरी संगत मे पड़ गया और  अपने शराबी मित्रों के साथ बैठकर शराब पीने लगा और  बनी बनाई गृहस्थी उजाड़ने लगा दोनो   की खुशियों मै जैसे किसी की नजर लग गई हो  अब यशोधरा जीवन के उन बुरे दिनों  से गुजर रही थी जो किसी स्त्री के लिए नर्क के  समान है ।
श्याम आता रात मे आता यशोधरा को मरता  पीटता  और रोज तमाशा होता  मोहल्ले के लोगों की भीड़ इकट्ठी होती  दारु के  नशे मे  धुत श्याम तरह तरह की बाते करता यशोदा को गाली गलौच करता  और फिर सो जाता  अब यशोधरा को इस सब की आदत हो गई
अब यशोदा की बेटी मान्या भी  बड़ी हो चली थी यशोधरा।
यशोधरा ने उसका सरकारी स्कूल मे  दाखिला करा दिया लेकिन
फिर यशोधरा ने कुछ  सोचकर अगले वर्ष उसका दाखिला शहर के एक् अच्छे स्कूल जो की अंग्रेजी माध्यम से था उसमे करा दिया और  यशोधरा अब  यशोदा भी पास  के सिलाई सेंटर मे  सिलाई करने लगी उससे उसेmanya  की फीस भरने मे  आसानी होती थी।
फिर यशोधरा ने अपनी सिलाई मशीन खरीद ली ओर अब वह
ब्लाउज सिलने का काम करने लगी  ,सिलाई का काम इतना अच्छा चलता की यशोधरा फिर फीस भी भर देती और घर का गुजारा भी अच्छे से हो जाता था,
एक दिन श्याम दारु के नशे मे  धुत होकर आया और  फिर कभी नही उठा
यशोधरा  अब  शहर मे बिल्कुल अकेली थी लेकिन समय की मार ने उसे कठोर बना दिया था समय बीतता गया यशोधरा ने अपना कमाया पैसा यशोधरा की पढ़ाई मे लगा दिया और उसे अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाई।
एक अकेली औरत का इस  समाज  रहना कितना मुश्किल होता है ये तो वह  औरत हि जान सकती है
हमारा  सभ्य समाज एक अकेली औरत को कैसी   दृष्टि से देखता है।
यशोदा को समाज के उस रूप का भी सामना करना पड़ रहा था
यशोधरा को तरह तरह के  लांक्षण  बिना कसूर के सुनने मे मिल रहे थे और अगर  यशोधरा  किसी से पुरुष से दो मिनिट खड़े होकर बात कर लेती।तो उसके बारे  मे  लोग तरह तरह की बातें करने लगते एक दिन यशोधरा  को मशीन चलाते चलाते चक्कर आया और वह  वही  बहोश  हो  गई अब क्या था जो आस पास लोग थे  उन्होंने  यशोधरा को पास के  अस्पताल  मे  भरती  करा दितो  और  जब रिपोर्ट आई तो सभी आश्चर्य चकित  हो गये क्योकि यशोधरा को ब्लड कैंसर था और   यशोधरा को इस बात की खबर भी नहीं थी  और  जैसे हि यशोधरा ने यह सुना तो वह चुप चाप आँखे   बंद करके सो गई उसे यह  खबर सुनकर कोई फर्क नहीं पड़ा और   कुछ दिन के बाद यशोधरा  दबाइयाँ लेकर अस्पताल से।बापस आ।गई
जब मान्या ने सुना की उसकी मां  को   केन्सर्र है तो उसको भी कोई फर्क ना पड़ा बो अपनी किताब खोले बैठी रही।
यशोधरा शारीरिक रूप से  काफी कमजोर हो गई थी और उसे अपनी बेटी से काफी उमीदें थी   ओर  यशोदा ने अपनी सारी  कमाई बेटी की पढ़ाई  मे लगा दी थी  इतनी परेशानी के बाबजूद  भी यशोदा  ने अपनी बेटी की पढ़ाई से लेकर पहने ओढ़ने घूमने  फिरने के सारे शौक पूरे किये थे 
लेकिन   यशोधरा को असली  तब् जब हुआ जब उसकी जाई बेटी ने हि उसे धोखा दे दिया मान्या अब  अपनी मा की एक बात ना सुनती  ना ही  उसकी जरा भी सेवा करती और  अब तो वह  अपनी मा की बीमारी का फायदा उठाने लगी अब उसको जरा सा भी किसी का डर नहीं था इसलिए अब अब वो मन का करती थी
यशोदा के    पड़ोस मे रहने।बाला एक लड़का  अनिल        जो कही बाहर का था उसकी मान्या से काफी।दोस्ती हो गई थी और  उसका घर पर आना जाना लगा रहता था और उसका घर पर आना जाना लगा रहता था जो की यशोधरा को बिल्कुल भी पसंद ना  था   एक दिन तो हद तब् हो गई   जब मान्या को यशोदा डांट रही थी और  समझा रही थी की वह लड़का ठीक नहीं है उससे दूर रहे तो मान्या ने मा को धक्का दिया  तो यशो धरा का सर  दीबार से जा   टकराया  और  यशो धरा धड़ाम से नीचे।आकर गिर गई।अब  यशोधरा।समझ  गई ।थी की लड़की हाथ।से निकल गई जिसको इतने नाजो से।पला आज।वह  किसी।लड़के के लिए पागल हो चुकी थी और ।बो  लड़का  अनिल जो मान्या से नजदीकियां बढ़ा रहा  था उस  लड़के के इरादे ठीक नहीं थे उसकी  नजर   यशोधरा की   तीन  मंजिला बिल्डिंग और  दुकान पर थी जो उसने पाई पाई जोड़कर बनाई थी,अनिल को पता  था की यशोधरा के जाने के बाद सब कुछ मान्या  का होगा और  अगर उसने मान्या   से शादी कर ली तो मुफ्त।में  बिना मेहनत किये  सारी संपत्ति उसकी  हो जाएगी मान्या इन सब बातो से बिल्कुल अनजान थी और  उसके लिए पागल थी लेकिन यशोधरा उसके इरादों को  भली  भाती समझ गई थी एक   से शादी कर ली तो मुफ्त।में  बिना मेहनत किये  सारी संपत्ति उसकी  हो जाएगी मान्या इन सब बातो से बिल्कुल अनजान थी और  उसके लिए पागल थी लेकिन यशोधरा उसके इरादों को  भली  भाती समझ गई थी एक
दिन यशोदा  सुबह सुबह उठी बिल्कुल पहले की तरह जब वह  स्वस्थ थी  सुबह जल्दी उठकर नाहकर  अपनी दुकान खोलती थी और  ब्लाउज का थोड़ा।बहुत काम करके फिर अन्य काम करती  आज भी उसने येसा हि किया और  ब्लाउज सिलने लगी अब यशोदा हर रोज उठती दुकान खोलती  ब्लाउज सिलती यहा तक की वह  दिन दिन भर ब्लाउज सिलती थी।

लेकिन  यशोदा के घर मै मा बेटी के बीच अब हर रोज आये दिन झगड़े होते थे  यशोदा मान्या को  हर रोज उस लड़के से दूर रहने को कहती इसलिए यशोदा मान्या की दुश्मन बन गई थी  , जब यशोधरा मान्या को समझती तो  मान्या  चिड उठती 
एक मा का  ह्रदय  अपने बच्चों के लिए कितना कोमल होता है इस बात  से कोई अनजान नहीं लेकिंन यशोदा को   , मन्या को सही  राह पर लाने के लिए  कठोर बनना पड़ा
लेकिन मान्या आज  के जमाने की लड़की अपनी मा को अनपढ़ गवार  समझती थी  और  अपनी मा को दुश्मन समझने लगी थी
अपनी मा के लाड़  दुलार  और  उसके  एहसानो का बदला उसने कुछ इस  प्रकार चुकाया ,एक असहनीय पीड़ा दी उसने आपनी मा को 
एक दिन सुबह्   सुबह  यशोदा  जागी तो देखा की  मान्या के कमरे का दरवाजा खुला हुआ है जब यशोदा ने जाकर देखा तो
पाया की मान्या अपने कमरे  मे नहीं है,और  उसका बेग और  कुछ कपड़े  गहने जो  यशोदा ने मान्या के लिए बनबाए  थे  बो सभी अपनी जगह पर नहीं है यशोदा को समझते  देर नहीं लगी
मान्या  उस लड़के के साथ।जा चुकी थी  ओर दोनो ने  किसी मंदिर मे जाकर शादी कर ली  जब यशोदा  ने उस लड़के के घर जाकर  देखा तो  वहाँ ताला लगा हुआ था
फिर यशोदा ने उस   दुकान    पर जाकर देखा जहां  बो लड़का काम करता था लेकिन।वहाँ भी   यशोदा को बताया गया की वह  बहुत दिनों से दुकान पर नहीं आ रहा है ।
यशोदा  चुपचाप।बिना कुछ  कहे वहा  से घर की और  आ गई
यशोदा की।बेटी भाग गई ये खबर पूरे मोहल्ले मे  सनसनी  क तरह फैल गई अब  मोहल्ले के कुछ भले मानुष जो की सच्चे  पड़ोसी होने का दावा  करते हैँ यशोदा को संतावना देने आते और  फिर वही  लोग बाहर  इधर उधर जाकर   मान्या और  उस लड़के के बारे मे  तरह तरह की बातें  करते थे  
यशोदा का जीना मुश्किल हो गया था और  ऊपर से कैंसर जैसी बड़ी बीमारी और  अब  रिस्ते दारो और   मोहल्ले  बालो के ताने
उसके बाबजूद भी  यशोदा एक मा  थी उसने बहुत कोशिश की  मान्या का पता  लगाने की और  उसे घर बापस लाने की पर उसे उसका कोई पता  नहीं  चला
कुछ महीनों बाद कही से यशोदा को उस  लड़के का फोन नंबर मिला  जब यशोदा ने फोन लगया तो  अनिल ने बहुत हि घटिया पने से यशोधरा से बात की और   बुरा भला कहते हुए   कहने लगा की मान्या को तुमसे कोई बात नहीं करनी अब दोबारा यहाँ फोन मत लगाना येसा कहते हुए अनिल ने फोन रख दिया ।

बीमारी की हालत और  बेटी का ऐसे चले जाना  यशोधरा को अंदर से तोड़ रहा था भले मान्या ने यशोधरा के साथ  केसा भी  व्यौहार  किया हो आखिर थी तो मान्या उसकी बेटी हि  और   मा के मन से कोमल कुछ नहीं हो सकता  यशोधरा का मन नहीं माना  और  एक दिन फिर यशोधरा ने उसी नंबर पर फोन लगाया सयोंग  से उस दिन मान्या ने।फोन  उठया 
जैसे हि मान्या ने अपनी मा की आवाज सुनी वो झल्लाकर बोली  मुझे दोबारा कॉल मत करना मेरा तुम्हारा कोई रिस्ता नहीं है  इतना कहकर मान्या ने फोन रख दिया  ।
यशोधरा स्तब्ध रह गई मानो उसे झटका लगा हो   
यह वो बेटी मान्या है जिसके लिए  यशोधरा  ने दिन रात एक कर दिये थे कैंसर जैसी बिमारी  मे भी बो काम करती थी अपनी बेटी के लिए ताकि  उसका भविष्य उज्जवल हो जो  कठिनाइयो। का सामना यशोधरा को करना पड़ा वो मान्या को ना करना पड़े इसलिए  वो दिन रात मेहनत करती थी ।
आज  यशोधरा का मोह टूट गया बो समझ चुकी थी इस दुनिया मे  उसका कोई नहीं है बो स्वयं ही  अपनी अच्छी हितेसी है और  अब वो जो पैसा कमाती  थी उससे अपना इलाज कराती  अपना ध्यान  रखती  समय के साथ उसको हालत मे सुधार होने लगा
और  वह  एक दम   स्वस्थ महसूस करने लगी ,उसने अपनी सिलाई की दुकान मे लड़कियों को सिलाई   सिखाने का काम शुरु कर।दिया  और  जो लड़किया आती  सिलाई  सीखने उनसे बिल्कुल अपनी हि बेटी की तरह बर्ताव करती ।
समय बीतता गया यशोधरा ने मान्या की बड़ी सी फोटो टांग ली ओर उस पर माला  चढ़ा दी उसके लिए मान्या अब मर चुकी थी।
मान्या की फोटो टंगी  देखकर अब  रिस्तेदारों का आना जाना कुछ ज्यादा हि हो गया था  अब क्योकि  यशोधरा की कोई दूसरी संतान नहीं थी यशोधरा की संपत्ति का  वारिश   कोंन होगा रिस्तेदारो को कुछ ज़्यदा हि  चिंता थी 
अब    हर  रोज यशोधरा के नए नए रिस्तेदारों के फोन आते उसका हाल पूछते   और  एक सच्चे रिस्तेदार की तरह हमदर्दी दिखाते    कोई दूर का फूफा तो कोई दूर का मौसा होता कोई   भांजा तो कोई भतीजा होता 
लेकिन यशोधरा  जानती थी की जब खुद की जाई बेटी उसकी नई हुई तो  पराये नये  लोग जो रिस्तेदार हिने का दावा  कर रहे उनपर विस्वास नहीं किया जा सकता क्योकि जीवन के उतार चढ़ाव ने उसको  बहुत कुछ सिखा दिया था ।

अब  यशोधरा समय के थपेड़े  खाकर बहुत निष्ठूर हि गई थी ।
लेकिन इसमे कोई शक नहीं की उसका मन एक स्त्री मनअसल वो सिलाई   सीखने आने बालू लड़कियों मे  मान्या को ढूंढती थी ।
समय बीतता  गया     यशोदा मन मे कुढन लिये जी रही  थी  साथ ही लोगो के तरह तरह के तानो के साथ अपने दिन की सुरुआत करती थी  मोहल्ले  की कुछ औरते  जिनका काम ही प्रपंच  करना  था   बो यशोदा की हितेषी बनकर आती आते से हि पूछती मान्या की कोई खबर मिली  और बार बार यशोदा को याद दिलाती  की उसकी बेटी भाग गई है और उसे शर्मिदगी का एहसास दिलाती   (हर गांव  शहर कस्बे मे कुछ चार  पांच महिलाये ऐसी होती है जो  मोह्हले के हर घर मे  बिना बुलाये  जाति है फिर मीठी मीठी बाते करके ये जानने की कोशिश करती है की घर मे आखिर चल क्या रहा है फिर घर की थोड़ी बहुत बात सुन समझ कर उसमे  मिर्च मसाला मिलाकर अगले घर मे जाकर  बाताती है  और  उनका यही क्रम  निरंतर चलता रहता है  और  ऐसी औरते तिल का ताड़ राई का पहाड़ बनाने मे काफी सक्षम होती है  ऐसी महिलाओं की बजह से अच्छे भले खुशहाल परिबार भी टूटने की कगार पर पहुंच जाते है   समझदारी इसी मे है की ऐसी महिलाओं से समहलकर रहे )
एक रोज यशोदा अपनी मशीन मे कुछ काम के रही थी तभी मोहल्ले का अमित वहा  आकर बैठ गया और  कहने लगा  चाची क्या चल रहा है सब बढ़िया है यशोदा ने  जबरन मुस्कुराते हुए कहा हाँ  बेटा सब बढ़िया है  अब इधर  उधर की बातें करते करते  यशोदा ने कहा बेटा अमित  खाना  खा लिया दोपहर के दो बज  रहे है तो अमित ने कहा नहीं  चाची अभी नहीं खाया   तो यशोदा ने मुस्कुराते हुये   कहा  वियाह करा ले समय पर खाना मिलने लागेगा   अमित जेसे ऐसा ही कुछ सुनेने का इंतजार कर रहा  था उसने  फट  से उत्तर दिया   अरे चाची मेरी बीबी भी अगर मान्या      कि  तरह् भाग  गई   तो     और हसने लगा  उसने यशोदा को एक तरह  से ताना मारा था  और अमित पहला व्यक्ती नाही था जिसने यशोदा को  ऐसा.ताना मारा था आये दिन यशोदा को आये दिन .ऐसे ताने सुनेने  पडते थे 
एक स्त्री के मन को एक.स्त्री ही समझ.सकती है कभी कभी हजार  जिल्लते सहने के बाद भी  उसे दुनिया के सामने मुस्कुरांना  पडता है   दुनिया को ऐसे दिखाना पडता है जेसे उसे  कोई फर्क ही नही पड रहा है 
लेकिन कहते है ना की विकट परिस्थति एक मजबूत दिमाग पैदा  करती करती है  
समय बीतता गया ओर उम्र के साथ  यशोधरा  बुढ़ी और  कमजोर होती गई  
Manya भी जैसे जैसे बड़ी हो रही थी उसे अपनी नादानी का आभाष हो रहा था  नादानी मे उसने।जो गलती की थी उसका परिणाम उसे मिलना शुरु हो गया था   उसका पति अनिल  उससे बुरा वर्ताब करने लगा था  और  शराब पीकर उससे मार पीट भी करता था  जो भी थोड़ी बहुत  कामाता उसे  बह दोस्तो के.साथ दारू जुये मै  उडा  देता था  अनिल की इन हरकतो से  निशा तंग आ    ग ई थी  उसे  अब अपनी गलती   पश्चाताप हो रहा था  उस अब अपनी मा की कही   ग ई एक एक बात याद आ रही  थी  क्योंकी उसने अपनी मा की एक  भी बात नही  मानी थी   इसी  लिये बह.अब.अपनी मा से भी बात करणे मे  उसे  शर्मिंदगी महसूस हो रही थी ओर  अब।ससुराल पक्ष मतलब अनिल की तरफ से जो भी रिस्तेदार थे कोई भी किसी भी तरह से हेल्प करने को  राजी  नहीं था सिवाय  सांत्वाना के ओर कुछ नहीं मिल पा रहा था  निशा को   निशा बिल्कुल हतास  हो गई थी उसे समझ नहीं आ  रहा था की वह क्या करे  
अगले दिन निशा बैठी बैठी कुछ सोच रही थी की तभी अनिल अपने किसी दोस्त के  साथ।आया ओर निशा से चाय  बनाने को कहा फिर जैसे हि निशा चाय  बनाकर  कर लाई उसने निशा अव कहा की तुम अपनी मा को फोन लगाओ ओर कहो की घर  मेरे नाम कर दे तो निशा ने कहा  की इतना  सब कुछ हो जाने के बाद तुम्हे लगता है की मा ऐसा  कुछ करेगी  अनिल ने बहुत हि बुरे लहजे से कहा  की करना तो पड़ेगा बुढ़िया को ,मे जैसा कहुगा तुम वैसा करती जाना तब निशा ने येसा करने से मना कर  दिया फिर क्या था दोनो मे बहुत देर  तक बहस  होती रही ओर बात इतनी बढ़ गई की निशा ने अनिल को छोड़कर अलग रहने का मन बना लिया लेकिन ऐसा  करने पर अनिल के सारे किये धरे पर पानी फिर जायेगा इस लिए अनिल ने निशा को कही नहीं जाने दिया।
इधर  यशोधरा को निशा के बारे मे अनिल के हि किसी दोस्त ने बताया की अनिल निशा के साथ बहुत हि बुरा वर्ताव करता है तो  यशोधरा ने सुनकर मानो अनसुना कर दिया हो लेकिन एक मा का मन और  ह्रदय कितना कोमल होता है बो तो एक मा हि समझ  सकती है  अब यशोधरा रात को  जैसे हि  बिस्तर पर सोई उसको निशा की याद आने लगी ओर  उसकी नींद जैसे हवा हो गई हो कहने को तो यशोधरा को निशा से नफरत थी लेकिन आज निशा की हालत के बारे मे सुनकर उसका ह्रदय मनो अपनी बेटी से मिलने को बेचैन हो उठा सारा गुस्सा सारा अतीत जो उसके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था सब कुछ भूल गई अब यशोधरा ने निशा से मिलने का मन बना लिए  इसी अधेड बुन मे  कब सुबह हो गई उसे पता  हि  नही चला ।

यशोधरा नहा धोकर  तैयार हो गई और  फिर यशोधरा ने अनिल के उस दोस्त  को फोन लगाकर निशा का पता पूछा और  फिर घर ओर ताला लगाकर बस् स्टेण्ड की तरफ रवाना हो गई ।

रात के नौ बज  रहे थे  निशा बैठी  अनिल के आने का इंतजार कर रही थी तभी किसी ने दरबाजे की कुंडी खट  खटाई 
निशा ने उठकर दरबाजा खोला उसे लगा अनिल आया है लेकिन दरबाजे पर उसने अपनी मा को खड़े  देखकर दंग रह गई और  पांच मिनिट तक उसके मुह से एक शब्द तक  निकला  निशा को अपना बीता कल याद आने लगा की उसने उस अनिल के पीछे अपनी मा के साथ कितना बुरा वर्ताव किया था यही सोचकर उसको मा कहने भी आज संकोच हो रहा था l
कुछ देर  के मौन  के  यशोदा अंदर चली गई और  वही  पर चारपाई पर जाकार बैठ गई निशा.ने पानी लाकर दिया  और. उसकी आँखे भर आई.
फिर यशोधरा से माफी मागते हुये बोली माँ मुझसे    बहुत बडी गलती  हुई तुम्हारी बात ना मानकर और  अनिल से शादी की अनिल  अच्छा इन्सान नही  है
यशोधरा थोडी देर  के.बाद बोली मुझे पता  है की अनिल अच्छा इन्सान नही  है  बेटा मेने तुझे पहले  ही समझया था पर......
निशा अपनी मा की बातो को सुनकर रोने लगी उसे  जो आत्म ग्लांनी हो रही थी  वो आसू बनकर  निकल  रही  थी 
यशोधरा ने  उसको सांतावना  देते हुये  कहा की  अब जो हुआ तो हुआ.अब.सब  ठीक  हो जायेगा  कल  मै चली  जाऊंगी तुझे मेरे साथ  चालना है तो बता ओर तैयारी कर ले अपनी ,निशा वेसे भी अनिल से  तंग

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