जीवि त प्रकृति है

 ईर्ष्या  का भाव कलयुग है, सदभाव प्रकृति है

कांति हीन कलयुग है, अलंकृत प्रकृति है

युद्ध का भाव कलयुग है,शांति प्रकृति है

लालच कलयुग है, दान प्रकृति है

वि षाद कलयुग है अनंत खुशी प्रकृति है

वज्राघात कलयुग है ,मरहम प्रकृति है

मोह कलयुग है, बंधनमुक्त प्रकृति है

द्वेष कलयुग है, समभाव प्रकृति है

शीघ्र अंत होगा कलयुग का,

अनंत काल तक जीवि त प्रकृति है

©® deeksha 

Comments

Popular posts from this blog

प्रकृति से सीखें जीवन के मूल मंत्र |Life Lessons from Nature – Trees, Mountains, Rivers & More

निस्तब्ध प्रकृति

सच्चा सुख: प्रकृति से जुड़ाव | True Joy Lies in Nature