जब वक्त मेहरबान हो — तो गधा भी पहलवान बन जाता है! | When Luck Smiles — Even a Donkey Becomes a Wrestler!

 हमारे बड़े-बुज़ुर्ग अक्सर ऐसी कहावतें बोल जाते हैं, जिनका असली मतलब हमें वक्त के साथ समझ आता है। एक ऐसी ही कहावत — "जब रब मेहरबान होता है तो गधा भी पहलवान होता है" — जिसे हमने पहले मजाक समझा, अब ज़िंदगी के अनुभवों से उसकी गहराई समझ पाई हूँ।



Donkey Dreaming of Being an Elephant


कभी सोचा था कि गधा पहलवान कैसे बन सकता है? पर अब समझ आया कि हमारे बुजुर्गों की ये बात सीधी नहीं थी — इसमें छिपा था गहरा जीवन का सच।
दरअसल, ये कहावत उन लोगों पर फिट बैठती है जो समय की रहमत से ऊँचाईयों पर पहुंच जाते हैं — बिना किसी विशेष प्रयास के।

वक्त जब मेहरबान होता है, तब काबिलियत से ज़्यादा किस्मत काम करती है। ऐसे में जो 'गधा' था — यानी जिसकी पहचान साधारण थी — वह भी 'पहलवान' बन जाता है।
पर वक्त हमेशा एक-सा नहीं रहता। जैसे ही किस्मत की हवाएं रुकती हैं, वैसे ही उस 'पहलवान' की असलियत सामने आने लगती है।

गधे को लगता है कि वो हाथी बन गया है, पर जब वक्त करवट लेता है — उसे उसकी असलियत का एहसास होता है।
और तब उसे फिर से उसकी पुरानी जगह पर — ढेर सारा बोझ लादकर — वापस भेज दिया जाता है।
वो सपनों से जागता है और समझता है कि उसका असली काम क्या था।
वहीं से असली सीख मिलती है — झूठे घमंड से बड़ा कोई बोझ नहीं, और वक्त से बड़ा कोई शिक्षक नहीं।





क्या आपने भी कभी किसी गधे को पहलवान बनते देखा है?
या खुद को कभी वक्त की रहमत का शिकार महसूस किया है?
नीचे कमेंट में अपनी राय और अनुभव ज़रूर बताइए।
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